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संकष्टी चतुर्थी क्या होती है?

संकष्टी चतुर्थी को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। अगर जातक संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रमा का दर्शन करते हैं तो इसे काफी शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि जो भी जातक संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं एवं उनको सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

गणेश भगवान को सभी देवताओं में से सबसे पहले पूजा जाता है क्योंकि उनको काफी शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश भगवान् की पूजा अर्चना की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे श्रद्धालुओं के सारे संकट दूर हो जाते हैं, प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह त्यौहार मनाया जाता है।

जाने संकष्टी चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त!

संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

संकष्टी चतुर्थी मनाने के पीछे कई कहानियां हैं। उनमे से एक यह है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती नदी के किनारे बैठे हुए थे। एकदम से माता पार्वती कि इच्छा हुई कि चौपड़ का खेल खेला जाए,उन दोनों को अलावा वहां और कोई नहीं था इसलिए उन्होंने मिटटी की एक मूर्ति बनाकर उसके अंदर जान फूंक दी और उससे दोनों के बीच में जय पराजय का निर्णय करने को कहा। उस बालक ने हर निर्णय सही लिया लेकिन अंतिम खेल में ज़रा सी गलती कर दी और माता पार्वती को पराजित घोषित कर दिया। इस बात से माता पार्वती आग बबूला हो गयी और उस बालक को लंगड़ा बना दिया। उस बालक ने अपनी भूल को स्वीकार करते हुए माता पार्वती से बहुत बार क्षमा प्रार्थना की। परन्तु, माता पार्वती काफी क्रोधित हुई और उस बालक की एक न सुनी। हालाँकि, माता पार्वती बाद में थोड़ा सा पिघल गयीं और उन्होंने बालक से कहा कि वे दिया हुआ श्राप तो वापस नहीं ले सकती लेकिन उन्होंने उसे एक उपाय सुझाया। उन्होंने उस बालक को समझाया कि संकष्टी के दिवस पर इसी जगह पर कुछ कन्याएं पूजा करने आती हैं, तुम व्रत कि विधि उनसे समझ लेना और इस व्रत को करना। जैसा माता पार्वती ने समझाया, वैसा ही उस बालक ने किया और भगवान गणेश बालक कि पूजा से प्रसन्न हुए और उसकी मनोकामना पूर्ण की। इसलिए अगर आप भी संकष्टी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करेंगे तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।

जाने संकष्टी चतुर्थी पर कैसा रहेगा आपका दिन, जाने आपका आज का राशिफल!

संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व

ऐसी मान्यता है की संकष्टी के दिन व्रत रखने से जातक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। पूरे वर्ष में 13 व्रत रखने होते हैं और हर एक के लिए एक अलग व्रत कथा होती है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि

अगर आप इस व्रत को संकष्टी के दिन रखते हैं तो सूर्योदय से पहले उठकर आपको स्नान और नित्यकर्म से निवृत्त हो कर साफ़ और धुले हुए कपडे पहनने चाहिए।

इस दिन व्रत करने वालों को लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

व्रत विधि के अनुसार श्रद्धालुओं को गणेश भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए।

पूजा करते समय धूप दीपक प्रज्जवलित करने चाहिए और आराधना करनी चाहिए।

तिल से बने हुए मोदक और गुड़ के लड्डू का भोग भगवान गणेश को लगाना चाहिए।

फल और मोदक इत्यादि भगवान गणेश को अर्पण करने से पहले "महागणपति जी आपको नमस्कार" वाक्य बोलें।

संध्या के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी की आरती करने एवं उसकी कथा को सुने अथवा पढ़ें।

तत्पश्चात गणेश मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करें।

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