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रविवार प्रदोष (भानु प्रदोष) व्रत कथा, लाभ और महत्व

Ravivar Pradosh Vrat Katha in Hindi

Updated Date : Thursday, 21 May, 2020 12:16 PM

रविवार प्रदोष व्रत (Ravivar Pradosh)

रविवार प्रदोष व्रत (Ravivar Pradosh Vrat) तब आता है जब शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रविवार को पड़ती है। रविवार प्रदोष व्रत का पालन करने से अपनी तरह का लाभ मिलता है।

हर महीने, दो प्रदोष व्रत होते हैं, एक शुक्ल पक्ष के 13 वें दिन और एक कृष्ण पक्ष के 13 वें दिन।

अतः प्रत्येक 13 वां दिन एक प्रदोष होता है, और यह सप्ताह के किसी भी दिन आ सकता है। जिस महीने यह रविवार को आता है, उसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।

रविवार प्रदोष व्रत रखने का महत्व

रविवार प्रदोष व्रत रखने के बहुत से लाभ हैं।

  • यदि आप रविवार प्रदोष व्रत का पालन करते हैं तो आप अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन का आशीर्वाद पाते हैं।
  • आप दूसरों के प्रति अधिक सहिष्णु और अधिक दयालु बन जाते हैं।
  • रविवार प्रदोष व्रत की सहायता से आप अपने क्रोध को नियंत्रित कर सकते हैं।

संक्षेप में, यदि आप रवि प्रदोष व्रत के दौरान आप भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो आप उनसे सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं ।

अवश्य पढ़ें : श्री शिव चालीसा

रविवार प्रदोष व्रत कथा (भानु प्रदोष कथा)

रविवार प्रदोष कथा (भानु प्रदोष व्रत कथा) उस समय से है जब भागीरथी नदी के तट पर ऋषि एक विशाल समूह में एकत्र हुए थे। अचानक, वहां वेद व्यास के सबसे बड़े भक्त, पुराणवेत्ता जी भी इस सभा में आए।

उन्हें देखकर शौनकादि के 88000 ऋषि और मुनि खड़े हो गए और जमीन पर लेट गए। और उनके बैठ जाने के बाद, सभी ऋषि और मुनी भी उनके चारों ओर बैठ गए।

शौनकादि ऋषियों में से एक ने पूरण वेत्ता जी से मंगलप्रद व्रत के पालन का महत्व और कारण पूछा। वह इसकी कहानी सुनाने से पहले कुछ देर चुपचाप बैठे रहे। वह कहानी इस प्रकार है,

एक ब्राह्मण, जो अपनी बहुत ही निष्ठावान पत्नी के साथ एक गाँव में रहता था, जो हर रविवार को रवि प्रदोष व्रत करता था। उनके साथ उनका एक बेटा भी था और एक समय, जब वह गंगा स्नान के लिए गया था, तो दुर्भाग्यवश रास्ते में उसे चोरों ने पकड़ लिया, और उससे कहा कि यदि वह उन्हें उस स्थान के बारे में बता दे जहाँ उसके पिता अपने घर में गुप्त खजाना रखते हैं, तो वे उसे नहीं मारेंगे।

अतः, बेटा काफी चकित हुआ और उसने बहुत विनम्रता के साथ, उन्हें बताया कि वे बहुत गरीब हैं और ऐसी कोई जगह नहीं है, और उनके पास बहुत सा धन नहीं हैं।

उसकी पीठ पर एक बड़ा सा झोला था, अतः चोरों ने यह जानना चाहा कि उसके पास उस बैग में क्या है?

अतः बिना कुछ सोचे ही, उसने जवाब दिया कि उसकी माँ ने रास्ते के लिए कुछ रोटियाँ दी हैं।

तो, चोरों को यकीन हो गया कि यह लड़का वास्तव में गरीब है और उन्होंने फैसला किया कि वे इस लड़के के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को लूटेंगे। इसलिए चोरों ने उसे जाने दिया।

अब, वहाँ से उस लड़के को केवल एक शहर तक पहुँचने के लिए लंबी दूरी तय करनी थी। शहर के पास एक वट वृक्ष था और वह बच्चा उस वट वृक्ष की छाया में सो गया। उसी समय, उस शहर की रखवाली करने वाले सैनिकों का समूह चोरों की तलाश में वट वृक्ष तक पहुँच गया।

जब उन्हें कोई नहीं मिला, तो उन्होनें उस लड़के को चोर मानते हुए अपनी हिरासत में ले लिया। राजा ने उसकी दलीलों को नहीं सुना, और उसे जेल में बंद करवा दिया।

जब बेटा समय निर्धारित अवधि में वापस नहीं आया, तो माँ और पिता बहुत चिंतित हो गए। अगले दिन, रवि प्रदोष व्रत था और हमेशा की तरह उस महिला ने व्रत रखा। उसने अपने बेटे की सुरक्षा के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की और उसकी देखभाल करने के लिए भी कहा। भगवान शिव ने उसकी प्रार्थना सुनकर, राजा को सपने में बताया कि वह लड़का चोर नहीं है। भगवान शिव ने राजा को चेतावनी दी कि यदि अगली सुबह, उसे रिहा नहीं किया गया, तो उसका पूरा राज्य नष्ट हो जाएगा और पूरे राज्य में लूट-पाट मच जाएगी।

अगले दिन, राजा ने बच्चे को जेल से रिहा कर दिया और बच्चे ने राजा को अपनी पूरी कहानी बताई। सैनिक बच्चे के साथ आए और उसे अगले दिन उसे घर ले गए और माता-पिता को भी पूरी कहानी बताई। शुरू में वे अपने बेटे के साथ सैनिकों को देखकर डर गए थे, लेकिन जब सैनिकों ने पुष्टि की और माता और पिता को पूरी कहानी बताई, तो उन्हें पूरी तरह से राहत मिली।

कुछ दिनों बाद राजा ने उस परिवार को उपहार के रूप में पाँच गाँव दिए। ब्राह्मण और उसकी पत्नि बहुत खुश हुए और उसके बाद उन्होनें शांति और खुशीयों भरा जीवन बिताया।

अतः जो कोई भी यह व्रत रखता है, वह भगवान शिव के अनुसार एक सुखी, स्वस्थ और निश्छल जीवन जीता है।

अवश्य पढ़ें : सभी प्रदोष व्रत कथाएं

रवि प्रदोष व्रत के दिन किए जाने वाले अनुष्ठान

  1. शाम के समय स्नान करना चाहिए।
  2. साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  3. यदि यह संभव हो तो उपवास करें, या आप पूरे दिन के दौरान कुछ हल्का भोजन ले सकते हैं।
  4. “ओम नमः शिवाय” का जाप करते रहें और इस दिन “ओम सूर्याय नमः” का भी जाप करें।
  5. शाम के समय भगवान शिव को जल या दूध चढ़ाऐं।
  6. रात का समय जागकर बिताऐं। पूरी रात शिव से प्रार्थना करें और कोशिश करें कि आपका ध्यान न टूटे।
  7. अगली सुबह भगवान शिव को जल अर्पित करने के बाद ही आप अपना उपवास तोड़ सकते हैं।

विभिन्न प्रकार के प्रदोष व्रत और उनकी व्रत कथाएँ

क्र. सं. दिन प्रदोष व्रत कथा
1 सोमवार सोम प्रदोष व्रत कथा
2 मंगलवार मंगल प्रदोष (भौम प्रदोष) व्रत कथा
3 बुधवार बुध प्रदोष (सौम्य प्रदोष) व्रत कथा
4 गुरुवार गुरु प्रदोष व्रत कथा
5 शुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत कथा
6 शनिवार शनि प्रदोष व्रत कथा
7 रविवार रवि प्रदोष (भानु प्रदोष) व्रत कथा

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