जन्म कुंडली भारतीय ज्योतिष का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है, जो मनुष्य का उनके भविष्य के बारे में मार्गदर्शन करता है। इस लेख में हम जन्म कुंडली के उद्देश्य और महत्व को समझने की कोशिश करते है। निशुल्क कुंडली पाने के लिए ऑनलाइन कई साधन उपलब्ध हैं। जन्म कुंडली जन्म के समय, जन्म तिथि, जन्म स्थान आदि जैसी सूचनाओं का उपयोग कर तैयार की जा सकती है। कुंडली बनाने के बहुत सारे कारण हैं। लोगों की कुछ चिंताओं को निम्नानुसार गणना कर सकते है।
- शिक्षा
- वित्त
- बच्चे
- शादी
- स्वास्थ्य
- प्रेम
- स्थान परिवर्तन और भी बहुत कुछ
कुंडली कैसे बनती है ?
हम में से प्रत्येक यह जानना चाहता है कि भविष्य में क्या होने वाला है? यदि आप भविष्य के बारे में जानते हैं तो आप लॉटरी टिकट खरीद सकते हैं। आप उन शेयरों में निवेश कर सकते हैं जो बढ़ सकते हो। दरअसल कुंडली को जातक के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के अनुसार बनाया जाता है। जब बच्चा पैदा होता है, तो सितारे, सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की स्थिति को नोट किया जाता है। फिर एक चार्ट बनाने के लिए एक गणितीय मॉडल का इस्तेमाल किया जाता है। ज्योतिषीय चार्ट में 12 घर शामिल होते हैं। प्रत्येक घर में कुंडली के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाया जाता है।
- पहला घर: ‘व्यक्तित्व‘ को दर्शाता है।
- दूसरा घरः ‘भाग्य‘ और ‘‘परिवार‘ को दर्शाता है।
- तीसरा घरः ‘भाई-बहन‘ ‘साहस‘ व ‘वीरता‘ को दर्शाता है।
- चैथा घर: ‘माँ’ और ‘खुशीयों‘ को दर्शाता है।
- पाँचवा घर:‘बच्चे और‘ ज्ञान‘ को दर्शाता है।
- छठा घरः ‘दुश्मनों‘ ‘ऋण‘ और ‘रोगों‘‘को दर्शाता है।
- सातवां घरः ‘विवाह‘ और ‘साझेदारी‘ को दर्शाता है।
- आठवां घर “दीर्घायु” को दर्शाता है।
- नौवां घरः ‘भाग्य‘ ‘पिता‘ और ‘धर्म‘ को दर्शाता है।
- दसवां घरः ‘करियर‘ को दर्शाता है।
- ग्यारवाह घरः ‘आय‘ और ‘लाभ‘ को दर्शाता है।
- बारहवां घरः ‘व्यय‘ और ‘हानि‘ को दर्शाता है।
भारतीय ज्योतिष में जन्म कुंडली बनाने और पढ़ने के लिए निम्नलिखित निम्न तरीके अपनाए गए हैं:
- जातक के जन्म के समय एक चार्ट बनाया जाता है जो विभिन्न ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। इस चार्ट का प्रत्येक घर महत्व और अर्थ के साथ 12 घरों में विभाजित किया जाता है।
- आरोही चिन्ह की गणना तब करते है, यह वह व्यक्ति के जन्म के समय मौजूद ग्रहों के प्रभाव पर निर्भर करता है। फिर इसका शासक की उपस्थिति लिखी जाती है। आरोही संकेतों पर सभी प्रकार के संयोजन और पहलुओं को नोट किया जाता है।
- विभिन्न ग्रहों जैसे मंगल, बृहस्पति, बुध, शुक्र, राहु और केतु आदि का स्थान नोट किया जाता है। चंद्रमा की स्थिति और नक्षत्रों के साथ सूर्य की स्थिति नोट की जाती है।
- विभिन्न घरों के शासक और स्थिति को देखा जाता है।
- पुर्वानुमान के लिए जिस प्रणाली का पालन किया जाता है, उसे विमशोत्री दशा प्रणाली कहा जाता है। यह वह प्रणाली है जो जीवन में किसी विशेष घटना के होने की भविष्यवाणी करती है। यह जातक के जन्म से लेकर जीवन के अंत तक रहती है।
- विमशोत्री दशा को दो उपविभागों में विभाजित किया गया हैः महादशा (महान अवधि) और अंर्तदशा (उप अवधि)। किसी भी अंर्तदशा को आगे चलकर 9 उप अवधियों में बाँट दिया जाता है जिसे प्रत्यंतर दशा कहा जाता है।
- सटीक पुर्वानुमान के लिए नवमांश चार्ट भी देखे जाते हैं।
- एक ज्योतिषी उपरोक्त सभी बिंदुओं को पढ़ने के बाद किसी व्यक्ति की पूरी कुंडली बनाता है।
जन्म कुंडली बनाने का उद्देश्य और महत्व
कुंडली आपको स्वयं को देखने और खुद को बेहतर इंसान बनाने में मदद करती है। यह आपके स्वयं के आंतरिक और छिपे हुए पहलुओं के बारे में बहुत आवश्यक समझ विकसित करती है। यह आपको खुद को बेहतर समझने में मदद करती है। हर व्यक्ति का जीवन, विभिन्न चरणों में अलग-अलग तरीकों से घूमता है। शुरुआत में हम अपने भोजन, शिक्षा आदि के बारे में चिंतित होते हैं और धीरे-धीरे हम रिश्तों, धन और अन्य जटिल चीजों में शामिल हो जाते हैं।
कुंडली बनने के बाद निम्नलिखित चीजों में लाभ उठाया जा सकता हैः
- कुंडली से आपको अपना करियर चुनने और निर्धारित करने में मदद मिलती है।
- कुंडली से जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलती है।
- कुंडली से रिश्तों में अनुकूलता को समझने में मदद मिलती है, विशेष रूप से विवाह की।
- कुंडली से लोगों को समझने में मदद मिलती है, मुख्यतः स्वयं को।
- कुंडली से आपके स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ती है।
- कुंडली से अधिग्रहण और नैतिक रूप से पूर्ण विकास में मदद मिलती है।
- कुंडली से वित्तीय प्रबंधन में मदद मिलती है।
- कुंडली से व्यक्ति आत्मविश्वास और दृढ़ बनता है।
- कुंडली से एक व्यक्ति सचेत और जागरूक बनता है।
- कुंडली से आपको दिन की योजना बनाने में मदद मिलती है।
- कुंडली से विचारशील होने मंे मदद होती है।
क्या आपकी कुंडली में राज योग है? - जाने।
यदि अनुभूति और शुद्धता के साथ प्रयोग किया जाए तो कुंडली एक अद्भुत साधन है। यह हमें कई दुर्घटनाओं से बचा सकती है जो अन्यथा घटित होंगी, यदि हम इसके पुर्वानुमान पर ध्यान नहीं देते। भारत में कुंडली का सर्वोच्च प्रासंगिक उपयोग विवाह के संदर्भ में है, जब कुंडली का मिलान किया जाता है और यह एक तरह की सुरक्षा प्रदान करता है जिसके बाद दंपति सुख से रह सकते है। अतः प्रसन्न रहें और जल्दी से अपनी कुंडली बना लें !!
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